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अमृता प्रीतम

अमृता प्रीतम

अमृता प्रीतम (१९१९-२००५) हिंदी और पंजाबी के सबसे लोकप्रिय लेखकों में से एक थीं। पंजाब के गुजराँवाला जिले में पैदा हुईं अमृता जी को पंजाबी भाषा की पहली कवयित्री माना जाता है। उन्होंने ६ दशकों तक काम किया और कुल मिलाकर लगभग १०० पुस्तकें लिखी हैं जिनमें उनकी चर्चित आत्मकथा 'रसीदी टिकट' भी शामिल है। अमृता प्रीतम उन साहित्यकारों में हैं जिनकी कृतियों का अनेक भाषाओं में अनुवाद हुआ। उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से अलंकृत किया गया। उन्हें भारत का दूसरा सबसे बड़ा सम्मान पद्मविभूषण भी प्राप्त हुआ।

इस लेखक की रचनाएँ

चुप की साज़िश

हर चोरी से भयानक यह सपनों की चोरी है ...

एक मुलाकात

मेरे शहर की हर गली संकरी मेरे शहर की हर छत नीची मेरे शहर की हर दीवार चुगली ...

यह कैसी चुप है

यह कैसी चुप है कि जिसमें पैरों की आहट शामिल है कोई चुपके से आया है

याद

आज सूरज ने कुछ घबरा कर रोशनी की एक खिड़की खोली बादल की एक खिड़की बंद की और अंधेरे की सीढियां उतर गया….

गले से गीत टूट गए

सभी कैदों में नज़र आते हैं हुस्न और इश्क को चुराने वाले और वारिस कहां से लाएं हीर की दास्तान गाने वाले...

सबसे लोकप्रिय

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तुम और मैं

तुम तुंग - हिमालय - श्रृंग और मैं चंचल-गति सुर-सरिता ...

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तुम हमारे हो

नहीं मालूम क्यों यहाँ आया ठोकरें खाते हु‌ए दिन बीते। उठा तो पर न सँभलने पाया गिरा व रह गया आँसू पीते ...

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लू के झोंकों झुलसे हुए थे जो

लू के झोंकों झुलसे हुए थे जो, भरा दौंगरा उन्ही पर गिरा ...

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स्नेह-निर्झर बह गया है

स्नेह-निर्झर बह गया है ! रेत ज्यों तन रह गया है ...

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गहन है यह अंधकारा

गहन है यह अंधकारा; स्वार्थ के अवगुंठनों से हुआ है लुंठन हमारा ...

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