हिमाद्रि तुंग शृंग से

असंख्य कीर्ति-रश्मियाँ विकीर्ण दिव्य दाह-सी सपूत मातृभूमि के- रुको न शूर साहसी ...

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हिमालय

हिमाद्रि तुंग शृंग से प्रबुद्ध शुद्ध भारती 

स्वयं प्रभा समुज्ज्वला स्वतंत्रता पुकारती 

'अमर्त्य वीर पुत्र हो, दृढ़- प्रतिज्ञ सोच लो, 

प्रशस्त पुण्य पंथ है, बढ़े चलो, बढ़े चलो!' 

 

असंख्य कीर्ति-रश्मियाँ विकीर्ण दिव्य दाह-सी 

सपूत मातृभूमि के- रुको न शूर साहसी! 

अराति सैन्य सिंधु में, सुवाड़वाग्नि से जलो, 

प्रवीर हो जयी बनो - बढ़े चलो, बढ़े चलो!

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