मुहब्बत

तस्वीर तेरी दिल मेरा बहला न सकेगी

तस्वीर तेरी दिल मेरा बहला न सकेगी ये तेरी तरह मुझ से तो शर्मा न सकेगी ...

लिखे जो ख़त तुझे

लिखे जो ख़त तुझे

कोई नगमा कहीं गूँजा, कहा दिल ने के तू आई

दिल को क्या हो गया ख़ुदा जाने

दिल को क्या हो गया ख़ुदा जाने

जानते जानते ही जानेगा मुझ में क्या है वो अभी क्या जाने

उज्र् आने में भी है और बुलाते भी नहीं

उज्र् आने में भी है और बुलाते भी नहीं

ख़ूब परदा है कि चिलमन से लगे बैठे हैं साफ़ छुपते भी नहीं सामने आते भी नहीं

शोला था जल-बुझा हूँ, हवायें मुझे न दो

शोला था जल-बुझा हूँ, हवायें मुझे न दो

जो ज़हर पी चुका हूँ तुम्हीं ने मुझे दिया अब तुम तो ज़िन्दगी की दुआयें मुझे न दो ...

मेरे बारे में हवाओं से वो कब पूछेगा

मेरे बारे में हवाओं से वो कब पूछेगा

अपना गम सबको बताना है तमाशा करना, हाल-ऐ- दिल उसको सुनाएँगे वो जब पूछेगा ...

सुना है लोग उसे आँख भर के देखते हैं

सुना है लोग उसे आँख भर के देखते हैं

तू सामने है तो फिर क्यों यकीं नहीं आता यह बार बार जो आँखों को मल के देखते हैं ...

आज जाने की ज़िद न करो

आज जाने की ज़िद न करो

आज जाने की ज़िद न करो यूँ ही पहलू में बैठे रहो..

टकरा ही गई मेरी नज़र उनकी नज़र से

टकरा ही गई मेरी नज़र उनकी नज़र से

इज़हार-ए-मोहब्बत न किया बस इसी डर से ऐसा न हो गिर जाऊँ कहीं उनकी नज़र से ...

अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें

अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें

अब न वो मैं हूँ न तू है न वो माज़ी है "फ़राज़" जैसे दो शख़्स तमन्ना के सराबों में मिलें

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तुम तुंग - हिमालय - श्रृंग और मैं चंचल-गति सुर-सरिता ...

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लू के झोंकों झुलसे हुए थे जो

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