जीवन

लू के झोंकों झुलसे हुए थे जो

लू के झोंकों झुलसे हुए थे जो

लू के झोंकों झुलसे हुए थे जो, भरा दौंगरा उन्ही पर गिरा ...

स्नेह-निर्झर बह गया है

स्नेह-निर्झर बह गया है

स्नेह-निर्झर बह गया है ! रेत ज्यों तन रह गया है ...

मेरे मन! तू दीपक-सा जल

मेरे मन! तू दीपक-सा जल

‘लौ’ के कंपन से बनता क्षण में पृथ्वी-आकाश ...

तान की मरोर

तान की मरोर

बुद्धि यन्त्र है, चला; न बुद्धि का गुलाम हो। सूझ अश्व है, चढ़े-- चलो, कभी न शाम हो ...

सहज

सहज

सहज-सहज पग धर आओ उतर; देखें वे सभी तुम्हें पथ पर ...

घीसा

घीसा

और तब मैंने जाना कि जीवन का खरा सोना छिपाने के लिए मलिन शरीर को बनाने वाला ईश्वर उस बूढ़े आदमी से भिन्न नहीं, जो अपनी सोने की मोहर को कच्ची मिट्टी की दीवार में रखकर निश्चिंत हो जाता है। घीसा गुरु साहब से झूठ बोलना भगवान जी से झूठ बोलना समझता है ...

निर्वचन

निर्वचन

प्रेम का पीयूष पी कर हो गया जीवन सुखी है। कालिमा बदली किरण में ; गत निशा, आया सवेरा ...

मेरी छबि ला दो

मेरी छबि ला दो

मेरी छबि उर-उर में ला दो! मेरे नयनों से ये सपने समझा दो ...

वनबेला

वनबेला

वर्ष का प्रथम पृथ्वी के उठे उरोज मंजु पर्वत निरुपम किसलयों बँधे, पिक-भ्रमर-गुंज भर मुखर प्राण रच रहे सधे ...

करुणा की छाया न करो

करुणा की छाया न करो

जीवन की विषाद-ज्वाला का पूछ रहे परिमाण? निठुर! इन्हीं राखों में तो मैं खोज रहा निर्वाण ...

सबसे लोकप्रिय

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तुम और मैं

तुम तुंग - हिमालय - श्रृंग और मैं चंचल-गति सुर-सरिता ...

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तुम हमारे हो

नहीं मालूम क्यों यहाँ आया ठोकरें खाते हु‌ए दिन बीते। उठा तो पर न सँभलने पाया गिरा व रह गया आँसू पीते ...

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लू के झोंकों झुलसे हुए थे जो

लू के झोंकों झुलसे हुए थे जो, भरा दौंगरा उन्ही पर गिरा ...

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स्नेह-निर्झर बह गया है

स्नेह-निर्झर बह गया है ! रेत ज्यों तन रह गया है ...

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गहन है यह अंधकारा

गहन है यह अंधकारा; स्वार्थ के अवगुंठनों से हुआ है लुंठन हमारा ...

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