प्रार्थना

गहन है यह अंधकारा

गहन है यह अंधकारा; स्वार्थ के अवगुंठनों से हुआ है लुंठन हमारा ...

भर देते हो

भर देते हो

भर देते हो बार-बार, प्रिय, करुणा की किरणों से क्षुब्ध हृदय को पुलकित कर देते हो ...

वीणावादिनी वर दे !

वीणावादिनी वर दे !

वर दे, वीणावादिनि वर दे ! प्रिय स्वतंत्र-रव अमृत-मंत्र नव भारत में भर दे ...

मैं कब से ढूँढ़ रहा हूँ

मैं कब से ढूँढ़ रहा हूँ

किस का आलोक गगन से रवि शशि उडुगन बिखराते? किस अंधकार को लेकर काले बादल घिर आते? उस चित्रकार को अब तक मैं देख नहीं पाया हूँ ...

मेरी वीणा में स्वर भर दो

मेरी वीणा में स्वर भर दो

मैं राही एकाकी तो क्या मंजिल तय करनी है, मुझको; रहने दो राह अपरिचित ही इसकी परवाह नहीं मुझको ...

थके हुए कलाकार से

थके हुए कलाकार से

प्रलय से निराशा तुझे हो गई इसी ध्वंस में मूर्च्छिता हो कहीं पड़ी हो, नयी ज़िन्दगी; क्या पता? सृजन की थकन भूल जा देवता ...

विपदा से मेरी रक्षा करना

विपदा से मेरी रक्षा करना

भले मेरी सहायता न जुटे अपना बल कभी न टूटे, जग में उठाता रहा क्षति और पाई सिर्फ़ वंचना तो भी मन में कभी न मानूँ क्षय ...

मुझे झुका दो, मुझे झुका दो

मुझे झुका दो, मुझे झुका दो

दिनभर का कर्म डूबा मेरा अतल में अहं की, सांध्य-वेला की पूजा भी हो न जाए विफल कहीं ...

जग-जीवन में जो चिर महान

जग-जीवन में जो चिर महान

ला सकूँ विश्व में एक बार फिर से नव जीवन का विहान ...

सबसे लोकप्रिय

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तुम और मैं

तुम तुंग - हिमालय - श्रृंग और मैं चंचल-गति सुर-सरिता ...

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तुम हमारे हो

नहीं मालूम क्यों यहाँ आया ठोकरें खाते हु‌ए दिन बीते। उठा तो पर न सँभलने पाया गिरा व रह गया आँसू पीते ...

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लू के झोंकों झुलसे हुए थे जो

लू के झोंकों झुलसे हुए थे जो, भरा दौंगरा उन्ही पर गिरा ...

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स्नेह-निर्झर बह गया है

स्नेह-निर्झर बह गया है ! रेत ज्यों तन रह गया है ...

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गहन है यह अंधकारा

गहन है यह अंधकारा; स्वार्थ के अवगुंठनों से हुआ है लुंठन हमारा ...

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