बाबुल

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बहोत रही बाबुल घर दुल्हन

  बहोत रही बाबुल घर दुल्हन, चल तोरे पी ने बुलाई। बहोत खेल खेली सखियन से, अन्त करी लरिकाई। बिदा करन को कुटुम्ब सब आए, सगरे लोग लुगाई। चार कहार मिल डोलिया उठाई, संग परोहत और भाई। चले ही बनेगी होत कहाँ है, नैनन नीर बहाई। अन्त बिदा हो चलि है दुल्हिन, काहू कि कछु न बने आई। मौज-खुसी सब देखत रह गए, मात पिता और भाई। मोरी कौन संग लगन धराई, धन-धन तेरि है खुदाई। बिन मांगे मेरी मंगनी जो कीन्ही, नेह की मिसरी खिलाई। एक के नाम कर दीनी सजनी, पर घर की...

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काहे को ब्याहे बिदेस

  काहे को ब्याहे बिदेस, अरे, लखिय बाबुल मोरे  काहे को ब्याहे बिदेस    भैया को दियो बाबुल महले दो-महले  हमको दियो परदेस  अरे, लखिय बाबुल मोरे  काहे को ब्याहे बिदेस   हम तो बाबुल तोरे खूँटे की गैयाँ    जित हाँके हँक जैहें  अरे, लखिय बाबुल मोरे  काहे को ब्याहे बिदेस    हम तो बाबुल तोरे बेले की कलियाँ  घर-घर माँगे हैं जैहें  अरे, लखिय बाबुल मोरे  काहे को ब्याहे बिदेस    कोठे तले से पलकिया जो...

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बाबुल तुम बगिया के तरुवर

बाबुल तुम बगिया के तरुवर, हम तरुवर की चिड़ियाँ रे  दाना चुगते उड़ जाएँ हम, पिया मिलन की घड़ियाँ रे  उड़ जाएँ तो लौट न आयें, ज्यों मोती की लडियां रे  बाबुल तुम बगिया के तरुवर ……. आँखों से आँसू निकले तो पीछे तके नहीं मुड़के घर की कन्या बन का पंछी, फिरें न डाली से उड़के  बाजी हारी हुई त्रिया की  जनम -जनम सौगात पिया की  बाबुल तुम गूंगे नैना, हम आँसू की फुलझड़ियाँ रे  उड़ जाएँ तो लौट न आएँ ज्यों मोती की लडियाँ रे  हमको सुध न जनम के पहले ,...

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