कविताएँ

मणियों का जूता

मणियों का जूता

यह जूता परियों का जूता, यह जूता मणियों का जूता ...

न तुम मेरे न दिल मेरा न जान-ए-ना-तवाँ मेरी

न तुम मेरे न दिल मेरा न जान-ए-ना-तवाँ मेरी

अबस नादानियों पर आप-अपनी नाज़ करते हैं अभी देखी कहाँ हैं आप ने नादानियाँ मेरी ...

यह संध्या फूली

यह संध्या फूली

यह संध्या फूली सजीली ! आज बुलाती हैं विहगों को नीड़ें बिन बोले; रजनी ने नीलम-मन्दिर के वातायन खोले ...

सहज

सहज

सहज-सहज पग धर आओ उतर; देखें वे सभी तुम्हें पथ पर ...

मुझे रोने दो

मुझे रोने दो

वारूँ सौ-सौ श्वास एक प्यारी उसांस पर, हारूँ अपने प्राण, दैव, तेरे विलास पर ...

अब निशा देती निमंत्रण

अब निशा देती निमंत्रण! महल इसका तम-विनिर्मित, ज्वलित इसमें दीप अगणित ...

केशर की, कलि की पिचकारी

केशर की, कलि की पिचकारी

केशर की, कलि की पिचकारी पात-पात की गात सँवारी ...

बदरिया थम-थमकर झर री !

बदरिया थम-थमकर झर री !

एक-एक, दो-दो बूँदों में बंधा सिन्धु का मेला ...

वायु बहती शीत-निष्ठुर

वायु बहती शीत-निष्ठुर

वायु बहती शीत-निष्ठुर! ताप जीवन श्वास वाली ...

किसी का दीप निष्ठुर हूँ

किसी का दीप निष्ठुर हूँ

शलभ मैं शपमय वर हूँ! किसी का दीप निष्ठुर हूँ ...

सबसे लोकप्रिय

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तुम और मैं

तुम तुंग - हिमालय - श्रृंग और मैं चंचल-गति सुर-सरिता ...

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तुम हमारे हो

नहीं मालूम क्यों यहाँ आया ठोकरें खाते हु‌ए दिन बीते। उठा तो पर न सँभलने पाया गिरा व रह गया आँसू पीते ...

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लू के झोंकों झुलसे हुए थे जो

लू के झोंकों झुलसे हुए थे जो, भरा दौंगरा उन्ही पर गिरा ...

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स्नेह-निर्झर बह गया है

स्नेह-निर्झर बह गया है ! रेत ज्यों तन रह गया है ...

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गहन है यह अंधकारा

गहन है यह अंधकारा; स्वार्थ के अवगुंठनों से हुआ है लुंठन हमारा ...

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