अबस नादानियों पर आप-अपनी नाज़ करते हैं अभी देखी कहाँ हैं आप ने नादानियाँ मेरी ...
तस्वीर तेरी दिल मेरा बहला न सकेगी ये तेरी तरह मुझ से तो शर्मा न सकेगी ...
लाज राखे मेरे घूँघट पट की। कैसे मैं भर लाऊँ मधवा से मटकी बहुत कठिन है डगर पनघट की ...
अपनी सी रंग दीन्ही रे मोसे नैना मिलाइके ...
उन्हें भेज के सखियाँ बुला लेती। जो मैं जानती बिसरत हैं सैय्या ..
तुम ही जतन करो ऐ री सखी री, मै मन भाऊँ साजन को ...
मौज-खुसी सब देखत रह गए, मात पिता और भाई। मोरी कौन संग लगन धराई, धन-धन तेरि है खुदाई ...
उस मय से नहीं मतलब, दिल जिस से है बेगाना मक़सूद है उस मय से, दिल ही में जो खिंचती है ...
काहे को ब्याहे बिदेस, अरे, लखिय बाबुल मोरे काहे को ब्याहे बिदेस ...
कोई नगमा कहीं गूँजा, कहा दिल ने के तू आई
तुम तुंग - हिमालय - श्रृंग और मैं चंचल-गति सुर-सरिता ...
नहीं मालूम क्यों यहाँ आया ठोकरें खाते हुए दिन बीते। उठा तो पर न सँभलने पाया गिरा व रह गया आँसू पीते ...
लू के झोंकों झुलसे हुए थे जो, भरा दौंगरा उन्ही पर गिरा ...
स्नेह-निर्झर बह गया है ! रेत ज्यों तन रह गया है ...
गहन है यह अंधकारा; स्वार्थ के अवगुंठनों से हुआ है लुंठन हमारा ...