• होम
  • प्रसिद्ध रचनाकार

प्रसिद्ध रचनाकार

Bhagwaticharanverma 160x194

भगवतीचरण वर्मा

भगवती चरण वर्मा का जन्म उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के शफीपुर गाँव में हुआ था। वर्माजी ने इलाहाबाद से बी॰ए॰, एल॰एल॰बी॰ की डिग्री प्राप्त की और प्रारम्भ में कविता लेखन किया। फिर उपन्यासकार के नाते विख्यात हुए। १९३३ के करीब प्रतापगढ़ के राजा साहब भदरी के साथ रहे। १९३६ के लगभग फिल्म कारपोरेशन, कलकत्ता में कार्य किया। कुछ दिनों ‘विचार’ नामक साप्ताहिक का प्रकाशन-संपादन, इसके बाद बंबई में फिल्म-कथालेखन तथा दैनिक ‘नवजीवन’ का सम्पादन, फिर आकाशवाणी के कई केंन्दों में कार्य। बाद में, १९५७ से मृत्यु-पर्यंत स्वतंत्न साहित्यकार के रूप में लेखन। ‘चित्रलेखा’ उपन्यास पर दो बार फिल्म-निर्माण और ‘भूले-बिसरे चित्र’ साहित्य अकादमी से सम्मानित। पद्मभूषण तथा राज्यसभा की मानद सदस्यता प्राप्त।

बालकृष्ण राव

बालकृष्ण राव (जन्म १९१३, निधन १९७६हिन्दी के कवि एवं संपादक थें। ये हिंदी साहित्य सम्मेलन, इलाहाबाद की माध्यम पत्रिका के पहले सम्पादक बने एवं भारत सरकार के आकाशवाणी विभाग में रहकर हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए अनेक महत्त्वपूर्ण कार्य किए। इनकी अनेक आलोचनाएँ विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई। १९५३ में कवि भारती के सह सम्पादक रहे।

’कादम्बनी’ के संस्थापक-सम्पादक। हिंदी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग की पत्रिका ’माध्यम’ के संस्थापक-सम्पादक। फिर ’कवि-भारती’ पत्रिका के सम्पादक रहे। बाद में अमृतराय के साथ मिलकर ’हंस’ का भी सम्पादन किया। केन्द्रीय हिन्दी संस्थान, आगरा के अध्यक्ष रहे।

Gopaldasneeraj 160x194

गोपालदास "नीरज"

गोपालदास नीरज (जन्म: 4 जनवरी 1925), हिन्दी साहित्यकार, शिक्षक एवं कवि सम्मेलनों के मंचों पर काव्य वाचक एवं फ़िल्मों के गीत लेखक हैं। वे पहले व्यक्ति हैं जिन्हें शिक्षाऔर साहित्य के क्षेत्र में भारत सरकार ने दो-दो बार सम्मानित किया, पहले पद्म श्री से, उसके बाद पद्म भूषण से। यही नहीं, फ़िल्मों में सर्वश्रेष्ठ गीत लेखन के लिये उन्हें लगातार तीन बार फिल्म फेयर पुरस्कार भी मिला।

Sohanlaldwivedi 160x194

सोहनलाल द्विवेदी

सोहन लाल द्विवेदी (22 फरवरी 1906 - 1 मार्च 1988) हिन्दी के प्रसिद्ध कवि थें। द्विवेदी जी हिन्दी के राष्ट्रीय कवि के रूप में प्रतिष्ठित हुए। ऊर्जा और चेतना से भरपूर रचनाओं के इस रचयिता को राष्ट्रकवि की उपाधि से अलंकृत किया गया। महात्मा गांधी के दर्शन से प्रभावित, द्विवेदी जी ने बालोपयोगी रचनाएँ भी लिखीं। 1969 में भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री उपाधि प्रदान कर सम्मानित किया था।

 

2 फरवरी सन् 1906 को उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले की तहसील बिन्दकी नामक स्थान पर जन्मे सोहनलाल द्विवेदी हिंदी काव्य-जगत की अमूल्य निधि हैं। उन्होंने हिन्दी में एम.ए. तथा संस्कृत का भी अध्ययन किया। राष्ट्रीयता से संबन्धित कविताएँ लिखने वालो में इनका स्थान मूर्धन्य है। महात्मा गांधी पर आपने कई भाव पूर्ण रचनाएँ लिखी है, जो हिन्दी जगत में अत्यन्त लोकप्रिय हुई हैं। आपने गांधीवाद के भावतत्व को वाणी देने का सार्थक प्रयास किया है तथा अहिंसात्मक क्रान्ति के विद्रोह व सुधारवाद को अत्यन्त सरल सबल और सफल ढंग से काव्य बनाकर 'जन साहित्य' बनाने के लिए उसे मर्मस्पर्शी और मनोरम बना दिया है।

Daag 160x194

दाग़ देहलवी

नवाब मिर्जा खाँ 'दाग़' , उर्दू के प्रसिद्ध कवि थे। इनका जन्म सन् 1831 में दिल्ली में हुआ। इनके पिता शम्सुद्दीन खाँ नवाब लोहारू के भाई थे। जब दाग़ पाँच-छह वर्ष के थे तभी इनके पिता गुजर गये। इनकी माता ने बहादुर शाह "ज़फर" के पुत्र मिर्जा फखरू से विवाह कर लिया, तब यह भी दिल्ली में लाल किले में रहने लगे। यहाँ दाग़ को हर प्रकार की अच्छी शिक्षा मिली। यहाँ ये कविता करने लगे और जौक़ को गुरु बनाया। सन् 1856 में मिर्जा फखरू की मृत्यु हो गई और दूसरे ही वर्ष बलवा आरंभ हो गया, जिससे यह रामपुर चले गए। वहाँ युवराज नवाब कल्ब अली खाँ के आश्रय में रहने लगे। सन् 1887 ई. में नवाब की मृत्यु हो जाने पर ये रामपुर से दिल्ली चले आए। घूमते हुए दूसरे वर्ष हैदराबाद पहुँचे। पुन: निमंत्रित हो सन् 1890 ई. में दाग़ हैदराबाद गए और निज़ाम के कविता गुरु नियत हो गए। इन्हें यहाँ धन तथा सम्मान दोनों मिला और यहीं सन् 1905 ई. में फालिज से इनकी मृत्यु हुई। दाग़ शीलवान, विनम्र, विनोदी तथा स्पष्टवादी थे और सबसे प्रेमपूर्वक व्यवहार करते थे।

Amirkhusro 160x194

अमीर खुसरो

अबुल हसन यमीनुद्दीन अमीर ख़ुसरो (1253-1325) चौदहवीं सदी के लगभग दिल्ली के निकट रहने वाले एक प्रमुख कवि शायर, गायक और संगीतकार थे।[1] उनका परिवार कई पीढ़ियों से राजदरबार से सम्बंधित था I स्वयं अमीर खुसरो ने आठ सुल्तानों का शासन देखा था I अमीर खुसरो प्रथम मुस्लिम कवि थे जिन्होंने हिंदी शब्दों का खुलकर प्रयोग किया है I वह पहले व्यक्ति थे जिन्होंने हिंदी, हिन्दवी और फारसी में एक साथ लिखा I उन्हे खड़ी बोली के आविष्कार का श्रेय दिया जाता है I वे अपनी पहेलियों और मुकरियों के लिए जाने जाते हैं। सबसे पहले उन्हीं ने अपनी भाषा के लिए हिन्दवी का उल्लेख किया था। वे फारसी के कवि भी थे। उनको दिल्ली सल्तनत का आश्रय मिला हुआ था। उनके ग्रंथो की सूची लम्बी है। साथ ही इनका इतिहास स्रोत रूप में महत्त्व है।

Akbarallahabadi 160x194

अकबर इलाहाबादी

अकबर ने सैयद अकबर हुसैन के नाम से १८४६ में इलाहाबाद के निकट बारा में एक सम्मानजनक, परिवार में जन्म लिया। उनके पिता का नाम सैयद तफ्फज़ुल हुसैन था।

अकबर ने अपनी प्राथमिक शिक्षा अपने पिता द्वरा घर पे ही ग्रहन की। उन्होंने 15 साल की उम्र में अपने दो या तीन साल वरिष्ठ लड़की से शादी की थी और जल्द ही उन्की दूसरी शादी भी हुइ। दोंनो पत्नीयों से अकबर के २-२ पुत्र थे। अकबर ने वकालत की अध्ययन करने के बाद बतौर सरकारी कर्मचारी कार्य किया।[2]

हालांकि अकबर एक अनिवार्य रूप से एक जीवंत, आशावादी कवि थे, उसके बाद के जीवन में चीजों के बारे में उनकी दृष्टि घर पर उसकी त्रासदी के अनुभव से घिर गई थी। उन्के बेटे और पोते का निधन कम उम्र में ही हो गया। यह उसके लिये बड़ा झटका था और निराशा का कारण बना। फलस्वरूप वह अपने जीवन के अंत की ओर काफी, वश में हो गया और तेजी से चिंताग्रस्त और धार्मिक होने लगे थे। व ७५ साल की उम्र में १९२१ में अकबर की मृत्यु हो गई।


Drashwaghosh 160x194

अश्वघोष

जन्मः २० जुलाई १९४१, रन्हेरा बुलंदशहर उ.प्र. में।
शिक्षाः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से हिंदी साहित्य में एम.ए., पी-एच.डी.
प्रकाशित कृतियाँ
शोध - हिंदी कहानीः सामाजिक आधारभूमि
खंड काव्य - ज्योतिचक्र, पहला कौंतेय
कविता संग्रह - १. तूफ़ान में जलपान, २. आस्था और उपस्थिति, ३. अम्मा का ख़त, ४. हवाः एक आवारा लड़की
५. माँ, दहशत और घोड़े, ६. जेवों में डर, ७. सपाट धरती की फसलें, ८. गई सदी के स्पर्श
बाल काव्य-संकलनः डुमक-डुमक-डुम, तीन तिलंगे, राजा हाथी, बाइस्कोप निराला
उत्तर-साक्षरता साहित्यः धन्य-धन्य तुम नारी, अच्छा है एक दीप जलाएँ, स्वास्थ्य-रक्षा की कथा, धरती माँ की दुःख, किस्सा भोला का, हमारा पर्यावरण।
पुरस्कार- उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, लखनऊ, उ.प्र. प्रौढ़ शिक्षा निदेशालय, लखनऊ तथा संभावना संस्थान मथुरा द्वारा पुरस्कृत।
सम्मान- 'समन्वय', सहारनपुर तथा भारतीय बाल-कल्याण संस्थान कानपुर द्वारा सम्मानित।
पाठ्यक्रम में संकलित - स्वामी रामतीर्थ मराठवाड़ा वि.वि., नांदेड में बी.ए. प्रथम वर्ष के पाठ्यक्रम में 'अम्मा का खत' कविता संकलित।
संपर्क - ७, अलकनंदा एन्क्लेव, जनरल महादेव सिंह रोड, देहरादून- २४८००१, उत्तरांचल

Kanhailalnandan 160x194

कन्हैयालाल नंदन

डाक्टर कन्हैयालाल नंदन (१ जुलाई १९३३ - २५ सितम्बर १०१०) हिन्दी के वरिष्ठ पत्रकार, साहित्यकार, मंचीय कवि और गीतकार थे। परागसारिका और दिनमान जैसी पत्रिकाओं में बतौर संपादक अपनी छाप छोड़ने वाले नंदन ने कई किताबें भी लिखीं। कन्हैयालाल नंदन को भारत सरकार के पद्मश्री पुरस्कार के अलावा भारतेन्दु पुरस्कार और नेहरू फेलोशिप पुरस्कार से भी नवाजा गया।

Mirzaghalib 160x194

मिर्ज़ा ग़ालिब

मिर्ज़ा असद-उल्लाह बेग ख़ां उर्फ “ग़ालिब” (२७ दिसंबर १७९६ – १५ फरवरी १८६९) उर्दू एवं फ़ारसी भाषा के महान शायर थे। इनको उर्दू भाषा का सर्वकालिक महान शायर माना जाता है और फ़ारसी कविता के प्रवाह को हिन्दुस्तानी जबान में लोकप्रिय करवाने का श्रेय भी इनको दिया जाता है। यद्दपि इससे पहले के वर्षो में मीर तक़ी "मीर" भी इसी वजह से जाने जाता है। ग़ालिब के लिखे पत्र, जो उस समय प्रकाशित नहीं हुए थे, को भी उर्दू लेखन का महत्वपूर्ण दस्तावेज़ माना जाता है। ग़ालिब को भारत और पाकिस्तान में एक महत्वपूर्ण कवि के रूप में जाना जाता है। उन्हे दबीर-उल-मुल्क और नज़्म-उद-दौला का खिताब मिला।

ग़ालिब (और असद) नाम से लिखने वाले मिर्ज़ा मुग़ल काल के आख़िरी शासक बहादुर शाह ज़फ़र के दरबारी कवि भी रहे थे। आगरा, दिल्ली और कलकत्ता में अपनी ज़िन्दगी गुजारने वाले ग़ालिब को मुख्यतः उनकी उर्दू ग़ज़लों को लिए याद किया जाता है। उन्होने अपने बारे में स्वयं लिखा था कि दुनिया में यूं तो बहुत से अच्छे कवि-शायर हैं, लेकिन उनकी शैली सबसे निराली है:

“हैं और भी दुनिया में सुख़न्वर बहुत अच्छे
कहते हैं कि ग़ालिब का है अन्दाज़-ए बयां और”

Kedarnathmishrprabhat 160x194

केदारनाथ मिश्र ‘प्रभात'

केदारनाथ मिश्र 'प्रभात' का जन्म बिहार के आरा जिले में हुआ। उच्च शिक्षा पटना में हुई। बिहार राज्य के पुलिस विभाग में सेवा की। इनके मुख्य गीत-संग्रह हैं- शुभ्रा, श्वेत नील, कलापिनी, कम्पन, ॠतम्भरा तथा बैठो मेरे पास। अंतिम दो संग्रह बिहार तथा उ.प्र. सरकार द्वारा पुरस्कृत हुए। कैकेयी, तप्त गृह तथा कर्ण इनके प्रबंध-काव्य हैं। इन्होंने प्रचुर बाल साहित्य भी लिखा।

सबसे लोकप्रिय

poet-image

तुम और मैं

तुम तुंग - हिमालय - श्रृंग और मैं चंचल-गति सुर-सरिता ...

poet-image

तुम हमारे हो

नहीं मालूम क्यों यहाँ आया ठोकरें खाते हु‌ए दिन बीते। उठा तो पर न सँभलने पाया गिरा व रह गया आँसू पीते ...

poet-image

लू के झोंकों झुलसे हुए थे जो

लू के झोंकों झुलसे हुए थे जो, भरा दौंगरा उन्ही पर गिरा ...

poet-image

स्नेह-निर्झर बह गया है

स्नेह-निर्झर बह गया है ! रेत ज्यों तन रह गया है ...

poet-image

गहन है यह अंधकारा

गहन है यह अंधकारा; स्वार्थ के अवगुंठनों से हुआ है लुंठन हमारा ...

ad-image