दीप

Mahadevi varma 1 275x153.jpg

जीवन दीप

- - इन उत्ताल तरंगों पर सह झंझा के आघात, जलना ही रहस्य है बुझना -है नैसर्गिक बात ... - -   किन उपकरणों का दीपक, किसका जलता है तेल? किसकि वर्त्ति, कौन करता इसका ज्वाला से मेल?   शून्य काल के पुलिनों पर- जाकर चुपके से मौन, इसे बहा जाता लहरों में वह रहस्यमय कौन?   कुहरे सा धुँधला भविष्य है, है अतीत तम घोर ; कौन बता देगा जाता यह किस असीम की ओर?   पावस की निशि में जुगनू का- ज्यों आलोक-प्रसार। इस...

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खेलूँगी कभी न होली

खेलूँगी कभी न होली उससे जो नहीं...

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सब बुझे दीपक जला लूं

सब बुझे दीपक जला लूं घिर रहा तम...

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पत्रोत्कंठित जीवन का विष बुझा हुआ है

पत्रोत्कंठित जीवन का विष बुझा हुआ...

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हो कहाँ अग्निधर्मा नवीन ऋषियों

कहता हूँ¸ ओ मखमल–भोगियों। श्रवण...

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धूप सा तन दीप सी मैं!  उड़ रहा...

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