फ़कीर

Bhagwati charan verma 275x153.jpg

हम दीवानों की क्या हस्ती

हम दीवानों की क्या हस्ती, आज यहाँ कल वहाँ चले मस्ती का आलम साथ चला, हम धूल उड़ाते जहाँ चले   आए बनकर उल्लास कभी, आँसू बनकर बह चले अभी सब कहते ही रह गए, अरे तुम कैसे आए, कहाँ चले   किस ओर चले? मत ये पूछो, बस चलना है इसलिए चले जग से उसका कुछ लिए चले, जग को अपना कुछ दिए चले   दो बात कहीं, दो बात सुनी, कुछ हँसे और फिर कुछ रोए छक कर सुख-दुःख के घूँटों को, हम एक भाव से पिए चले   हम भिखमंगों की दुनिया में, स्वछन्द लुटाकर...

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