काहे को ब्याहे बिदेस

काहे को ब्याहे बिदेस, अरे, लखिय बाबुल मोरे काहे को ब्याहे बिदेस ...


 

काहे को ब्याहे बिदेस, अरे, लखिय बाबुल मोरे 

काहे को ब्याहे बिदेस 

 

भैया को दियो बाबुल महले दो-महले 

हमको दियो परदेस 

अरे, लखिय बाबुल मोरे 

काहे को ब्याहे बिदेस

 

हम तो बाबुल तोरे खूँटे की गैयाँ 

 

जित हाँके हँक जैहें 

अरे, लखिय बाबुल मोरे 

काहे को ब्याहे बिदेस 

 

हम तो बाबुल तोरे बेले की कलियाँ 

घर-घर माँगे हैं जैहें 

अरे, लखिय बाबुल मोरे 

काहे को ब्याहे बिदेस 

 

कोठे तले से पलकिया जो निकली 

बीरन में छाए पछाड़ 

अरे, लखिय बाबुल मोरे 

काहे को ब्याहे बिदेस 

 

हम तो हैं बाबुल तोरे पिंजरे की चिड़ियाँ 

भोर भये उड़ जैहें 

अरे, लखिय बाबुल मोरे 

काहे को ब्याहे बिदेस 

 

तारों भरी मैनें गुड़िया जो छोडी़ 

छूटा सहेली का साथ 

अरे, लखिय बाबुल मोरे 

काहे को ब्याहे बिदेस 

 

डोली का पर्दा उठा के जो देखा 

आया पिया का देस 

अरे, लखिय बाबुल मोरे 

काहे को ब्याहे बिदेस 

 

अरे, लखिय बाबुल मोरे 

काहे को ब्याहे बिदेस 

अरे, लखिय बाबुल मोरे 

 

(इस रचना के कुछ अंशों को हिन्दी फ़िल्म उमराव जान के लिये जगजीत कौर ने ख़्य्याम के संगीत में गाया है)

 

DISCUSSION

blog comments powered by Disqus

सबसे लोकप्रिय

poet-image

हो कहाँ अग्निधर्मा नवीन ऋषियों

कहता हूँ¸ ओ मखमल–भोगियो। श्रवण...

poet-image

रंज की जब गुफ्तगू होने लगी

रंज की जब गुफ्तगू होने लगी आप...

poet-image

अब यह चिड़िया कहाँ रहेगी

हमने खोला आलमारी को, बुला रहे हैं...

poet-image

भारत महिमा

हमारे संचय में था दान, अतिथि थे...

poet-image

लू के झोंकों झुलसे हुए थे जो

लू के झोंकों झुलसे हुए थे जो, ...

ad-image