समभाव

तुम हमारे हो

तुम हमारे हो

नहीं मालूम क्यों यहाँ आया ठोकरें खाते हु‌ए दिन बीते। उठा तो पर न सँभलने पाया गिरा व रह गया आँसू पीते ...

हम सब सुमन एक उपवन के

हम सब सुमन एक उपवन के

काँटों में मिलकर हम सबने हँस हँस कर है जीना सीखा, एक सूत्र में बंधकर हमने हार गले का बनना सीखा। सबके लिए सुगन्ध हमारी ...

हम दीवानों की क्या हस्ती

हम दीवानों की क्या हस्ती

हम मान रहित, अपमान रहित, जी भर कर खुलकर खेल चुके हम हँसते हँसते आज यहाँ, प्राणों की बाजी हार चले अब अपना और पराया क्या, आबाद रहें रुकने वाले हम स्वयं बंधे थे और स्वयं, हम अपने बन्धन तोड़ चले ...

पक्षी और बादल

पक्षी और बादल

और वह सौरभ हवा में तैरती हुए पक्षियों की पाँखों पर तिरता है। और एक देश का भाप दूसरे देश का पानी बनकर गिरता है

सबसे लोकप्रिय

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तुम और मैं

तुम तुंग - हिमालय - श्रृंग और मैं चंचल-गति सुर-सरिता ...

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तुम हमारे हो

नहीं मालूम क्यों यहाँ आया ठोकरें खाते हु‌ए दिन बीते। उठा तो पर न सँभलने पाया गिरा व रह गया आँसू पीते ...

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लू के झोंकों झुलसे हुए थे जो

लू के झोंकों झुलसे हुए थे जो, भरा दौंगरा उन्ही पर गिरा ...

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स्नेह-निर्झर बह गया है

स्नेह-निर्झर बह गया है ! रेत ज्यों तन रह गया है ...

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गहन है यह अंधकारा

गहन है यह अंधकारा; स्वार्थ के अवगुंठनों से हुआ है लुंठन हमारा ...

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