देखा नहीं पहाड़

जीव-जंतु हैं वहाँ अनोखे, चीते, भालू, हरियल तोते। करते रहते सिंह दहाड़, लेकिन देखा नहीं पहाड़ ...

Dr ashwaghosh 600x350.jpg

अश्वघोष

अब तक हमने देखी बाढ़,
लेकिन देखा नहीं पहाड़!

सुना वहाँ परियाँ रहती हैं,
कल-कल-कल नदियाँ बहती हैं।
झरने करते हैं खिलवाड़,
लेकिन देखा नहीं पहाड़!

और सुना है लोग निराले,
घर में नहीं लगाते ताले।
हरदम रखते खुले किवाड़,
लेकिन देखा नहीं पहाड़!

यह भी सुना बर्फ पड़ती है,
पेड़ों पर मोती जड़ती है।
सब करते हैं उसको लाड़,
लेकिन देखा नहीं पहाड़!

जीव-जंतु हैं वहाँ अनोखे,
चीते, भालू, हरियल तोते।
करते रहते सिंह दहाड़,
लेकिन देखा नहीं पहाड़!

DISCUSSION

blog comments powered by Disqus

सबसे लोकप्रिय

poet-image

खेलूँगी कभी न होली

खेलूँगी कभी न होली उससे जो नहीं...

poet-image

सब बुझे दीपक जला लूं

सब बुझे दीपक जला लूं घिर रहा तम...

poet-image

पत्रोत्कंठित जीवन का विष बुझा हुआ है

पत्रोत्कंठित जीवन का विष बुझा हुआ...

poet-image

हो कहाँ अग्निधर्मा नवीन ऋषियों

कहता हूँ¸ ओ मखमल–भोगियों। श्रवण...

poet-image

धूप सा तन दीप सी मैं

धूप सा तन दीप सी मैं!  उड़ रहा...

ad-image