मानव अकेला

अंगारे-सा--भगवान-सा अकेला। और हमारे सारे लोकाचार राख की युगों-युगों की परतें हैं...

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अज्ञेय

भीड़ों में

जब-जब जिस-जिस से आँखें मिलती हैं

वह सहसा दिख जाता है

मानव

अंगारे-सा--भगवान-सा

अकेला।

 

और हमारे सारे लोकाचार

राख की युगों-युगों की परतें हैं।

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