गले से गीत टूट गए

सभी कैदों में नज़र आते हैं हुस्न और इश्क को चुराने वाले और वारिस कहां से लाएं हीर की दास्तान गाने वाले...

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गले से गीत टूट गए

चर्खे का धागा टूट गया

और सखियां-जो अभी अभी यहां थीं

जाने कहां कहां गईं...

 

हीर के मांझी ने-वह नौका डुबो दी

जो दरिया में बहती थी

हर पीपल से टहनियां टूट गईं

जहां झूलों की आवाज़ आती थी...

 

वह बांसुरी जाने कहां गई

जो मुहब्बत का गीत गाती थी

और रांझे के भाई बंधु

बांसुरी बजाना भूल गए...

 

ज़मीन पर लहू बहने लगा-

इतना-कि कब्रें चूने लगीं

और मुहब्बत की शहज़ादियां 

मज़ारों में रोने लगीं...

 

सभी कैदों में नज़र आते हैं

हुस्न और इश्क को चुराने वाले 

और वारिस कहां से लाएं

हीर की दास्तान गाने वाले...

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