दुआ करो कि ये पौधा सदा हरा ही लगे

मैं चाहता हूँ ख़फ़ा हो तो वो ख़फ़ा ही लगे ...

दुआ करो कि ये पौधा सदा हरा ही लगे

उदासियों से भी चेहरा खिला-खिला ही लगे

 

ये चाँद तारों का आँचल उसी का हिस्सा है

कोई जो दूसरा ओढे तो दूसरा ही लगे

 

नहीं है मेरे मुक़द्दर में रौशनी न सही

ये खिड़की खोलो ज़रा सुबह की हवा ही लगे

 

अजीब शख़्स है नाराज़ होके हंसता है

मैं चाहता हूँ ख़फ़ा हो तो वो ख़फ़ा ही लगे

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