प्रिय मेरे गीले नयन बनेंगे आरती!

प्रिय मेरे गीले नयन बनेंगे आरती! श्वासों में सपने कर गुम्फित, बन्दनवार वेदना- चर्चित ...

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महादेवी वर्मा

प्रिय मेरे गीले नयन बनेंगे आरती!

 

श्वासों में सपने कर गुम्फित,

बन्दनवार वेदना- चर्चित,

भर दुख से जीवन का घट नित,

मूक क्षणों में मधुर भरुंगी भारती!

 

दृग मेरे यह दीपक झिलमिल,

भर आँसू का स्नेह रहा ढुल,

सुधि तेरी अविराम रही जल,

पद-ध्वनि पर आलोक रहूँगी वारती!

 

यह लो प्रिय ! निधियोंमय जीवन,

जग की अक्षय स्मृतियों का धन,

सुख-सोना करुणा-हीरक-कण,

तुमसे जीता, आज तुम्हीं को हारती!


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