गोधूली अब दीप जगा ले

गोधूली, अब दीप जगा ले! नीलम की निस्मीम पटी पर, तारों के बिखरे सित अक्षर, तम आता हे पाती में ...

Mahadevi varma 1 600x350.jpg

महादेवी वर्मा

गोधूली, अब दीप जगा ले!
नीलम की निस्मीम पटी पर,
तारों के बिखरे सित अक्षर,
तम आता हे पाती में,
प्रिय का आमन्त्र स्नेह-पगा ले!
कुमकुम से सीमान्त सजीला,
केशर का आलेपन पीला,
किरणों की अंजन-रेखा 
फीके नयनों में आज लगा ले!
इसमें भू के राग घुले हैं,
मूक गगन के अश्रु घुले है,
रज के रंगों में अपना तू
झीना सुरभि-दुकूल रँगा ले!
अब असीम में पंख रुक चले,
अब सीमा में चरण थक चले,
तू निश्वास भेज इनके हित
दिन का अन्तिम हास मँगा ले!
किरण-नाल पर घन के शतदल,
कलरव-लहर विहग बुद्-बुद् चल,
क्षितिज-सिन्धु को चली चपल
आभा-सरि अपना उर उमगा ले!
कण-कण दीपक तृण-तृण बाती,
हँस चितवन का स्नेह पिलाती,
पल-पल की झिलमिल लौ में
सपनों के अंकुर आज उगा ले!
गोधूली, अब दीप जगा ले!

DISCUSSION

blog comments powered by Disqus

सबसे लोकप्रिय

poet-image

हो कहाँ अग्निधर्मा नवीन ऋषियों

कहता हूँ¸ ओ मखमल–भोगियो। श्रवण...

poet-image

रंज की जब गुफ्तगू होने लगी

रंज की जब गुफ्तगू होने लगी आप...

poet-image

अब यह चिड़िया कहाँ रहेगी

हमने खोला आलमारी को, बुला रहे हैं...

poet-image

भारत महिमा

हमारे संचय में था दान, अतिथि थे...

poet-image

लू के झोंकों झुलसे हुए थे जो

लू के झोंकों झुलसे हुए थे जो, ...

ad-image