वो गुल हूँ ख़िज़ां ने जिसे बरबाद किया है उलझूँ किसी दामन से मैं वो ख़ार नहीं हूँ ...
अबस नादानियों पर आप-अपनी नाज़ करते हैं अभी देखी कहाँ हैं आप ने नादानियाँ मेरी ...
तस्वीर तेरी दिल मेरा बहला न सकेगी ये तेरी तरह मुझ से तो शर्मा न सकेगी ...
उन से सब अपनी अपनी कहते हैं मेरा मतलब अदा करे कोई ...
हुस्न का हक़ नहीं रहता बाक़ी हर अदा में वो अदा करते हैं ...
आते-जाते यूँ तो देखे हैं हज़ारों ख़ुश-ख़राम दिल में आकर दिल से जाना,कोई तुम से सीख जाए ...
हो चुका ऐश का जलसा तो मुझे ख़त पहुँचा आपकी तरह से मेहमान बुलाए कोई ...
अपनी आँखों में अभी कून्द गई बिजली- सी हम न समझे के ये आना है या जाना तेरा ...
हज़ारों दिल मसल कर पाँवों से झुँझला के फ़रमाया, लो पहचानो तुम्हारा इन दिलों में कौन सा दिल है ...
ये दिल को ताब कहाँ है कि हो मालन्देश उन्हों ने वादा किया हम ने ऐतबार किया ...
तुम तुंग - हिमालय - श्रृंग और मैं चंचल-गति सुर-सरिता ...
नहीं मालूम क्यों यहाँ आया ठोकरें खाते हुए दिन बीते। उठा तो पर न सँभलने पाया गिरा व रह गया आँसू पीते ...
लू के झोंकों झुलसे हुए थे जो, भरा दौंगरा उन्ही पर गिरा ...
स्नेह-निर्झर बह गया है ! रेत ज्यों तन रह गया है ...
गहन है यह अंधकारा; स्वार्थ के अवगुंठनों से हुआ है लुंठन हमारा ...