कविताएँ

Gopaldasneeraj 275x153.jpg

है बहुत अंधियार अब सूरज निकलना चाहिये

है बहुत अंधियार अब सूरज निकलना चाहिए जिस तरह से भी हो ये मौसम बदलना चाहिए रोज़ जो चेहरे बदलते है लिबासों की तरह अब जनाज़ा ज़ोर से उनका निकलना चाहिए अब भी कुछ लोगो ने बेची है न अपनी आत्मा ये पतन का सिलसिला कुछ और चलना चाहिए फूल बन कर जो जिया वो यहाँ मसला गया जीस्त को फ़ौलाद के साँचे में ढलना चाहिए छिनता हो जब तुम्हारा हक़ कोई उस वक़्त तो आँख से आँसू नहीं शोला निकलना चाहिए दिल जवां, सपने जवाँ, मौसम जवाँ, शब् भी जवाँ तुझको मुझसे...

Daag 275x153.jpg

इस अदा से वो वफ़ा करते हैं

इस अदा से वो वफ़ा करते हैं कोई जाने कि वफ़ा करते हैं हमको छोड़ोगे तो पछताओगे हँसने वालों से हँसा करते हैं ये बताता नहीं कोई मुझको दिल जो आ जाए तो क्या करते हैं हुस्न का हक़ नहीं रहता बाक़ी हर अदा में वो अदा करते हैं किस क़दर हैं तेरी आँखे बेबाक इन से फ़ित्ने भी हया करते हैं इस लिए दिल को लगा रक्खा है इस में दिल को लगा रक्खा है 'दाग़' तू देख तो क्या होता है जब्र पर जब्र किया करते हैं

Suryakant tripathi nirala 275x153.jpg

रेखा

यौवन के तीर पर प्रथम था आया जब श्रोत सौन्दर्य का, वीचियों में कलरव सुख चुम्बित प्रणय का था मधुर आकर्षणमय, मज्जनावेदन मृदु फूटता सागर में। वाहिनी संसृति की आती अज्ञात दूर चरण-चिन्ह-रहित स्मृति-रेखाएँ पारकर, प्रीति की प्लावन-पटु, क्षण में बहा लिया— साथी मैं हो गया अकूल का, भूल गया निज सीमा, क्षण में अज्ञानता को सौंप दिये मैंने प्राण बिना अर्थ,--प्रार्थना के। तापहर हृदय वेग लग्न एक ही स्मृति में; कितना अपनाव?— प्रेमभाव बिना भाषा का,...

Makhanlal chaturvedi 275x153.jpg

अमर राष्ट्र

छोड़ चले, ले तेरी कुटिया, यह लुटिया-डोरी ले अपनी, फिर वह पापड़ नहीं बेलने; फिर वह माल पडे न जपनी। यह जागृति तेरी तू ले-ले, मुझको मेरा दे-दे सपना, तेरे शीतल सिंहासन से सुखकर सौ युग ज्वाला तपना। सूली का पथ ही सीखा हूँ, सुविधा सदा बचाता आया, मैं बलि-पथ का अंगारा हूँ, जीवन-ज्वाल जलाता आया। एक फूँक, मेरा अभिमत है, फूँक चलूँ जिससे नभ जल थल, मैं तो हूँ बलि-धारा-पन्थी, फेंक चुका कब का गंगाजल। इस चढ़ाव पर चढ़ न सकोगे, इस उतार से जा...

Amir khusro 275x153.jpg

पहेलियाँ

१. तरवर से इक तिरिया उतरी उसने बहुत रिझाया बाप का उससे नाम जो पूछा आधा नाम बताया आधा नाम पिता पर प्यारा बूझ पहेली मोरी अमीर ख़ुसरो यूँ कहेम अपना नाम नबोली उत्तर—निम्बोली २. फ़ारसी बोली आईना, तुर्की सोच न पाईना हिन्दी बोलते आरसी, आए मुँह देखे जो उसे बताए  उत्तर—दर्पण ३. बीसों का सर काट लिया ना मारा ना ख़ून किया  उत्तर—नाखून ४. एक गुनी ने ये गुन कीना, हरियल पिंजरे में दे दीना।  देखो जादूगर का कमाल, डारे हरा निकाले लाल।।  ...

Daag 275x153.jpg

दर्द बन के दिल में आना , कोई तुम से सीख जाए

दर्द बन के दिल में आना , कोई तुम से सीख जाए जान-ए-आशिक़ हो के जाना , कोई तुम से सीख जाए हमसुख़न पर रूठ जाना , कोई तुम से सीख जाए रूठ कर फिर मुस्कुराना, कोई तुम से सीख जाए वस्ल की शब[1] चश्म-ए-ख़्वाब-आलूदा[2] के मलते उठे सोते फ़ित्ने[3] को जगाना,कोई तुम से सीख जाए कोई सीखे ख़ाकसारी की रविश[4] तो हम सिखाएँ ख़ाक में दिल को मिलाना,कोई तुम से सीख जाए आते-जाते यूँ तो देखे हैं हज़ारों ख़ुश-ख़राम[5] दिल में आकर दिल से जाना,कोई तुम से सीख...

Suryakant tripathi nirala 275x153.jpg

मेरी छबि ला दो

मेरी छबि उर-उर में ला दो! मेरे नयनों से ये सपने समझा दो! जिस स्वर से भरे नवल नीरद, हुए प्राण पावन गा हुआ हृदय भी गदगद, जिस स्वर-वर्षा ने भर दिये सरित-सर-सागर, मेरी यह धरा धन्य हुई भरा नीलाम्बर, वह स्वर शर्मद उनके कण्ठों में गा दो! जिस गति से नयन-नयन मिलते, खिलते हैं हृदय, कमल के दल-के-दल हिलते, जिस गति की सहज सुमति जगा जन्म-मृत्यु-विरति लाती है जीवन से जीवन की परमारति, चरण-नयन-हृदय-वचन को तुम सिखला दो!

Makhanlal chaturvedi 275x153.jpg

दूबों के दरबार में

क्या आकाश उतर आया है दूबों के दरबार में? नीली भूमि हरी हो आई इस किरणों के ज्वार में ! क्या देखें तरुओं को उनके फूल लाल अंगारे हैं; बन के विजन भिखारी ने वसुधा में हाथ पसारे हैं। नक्शा उतर गया है, बेलों की अलमस्त जवानी का युद्ध ठना, मोती की लड़ियों से दूबों के पानी का! तुम न नृत्य कर उठो मयूरी, दूबों की हरियाली पर; हंस तरस खाएँ उस मुक्ता बोने वाले माली पर! ऊँचाई यों फिसल पड़ी है नीचाई के प्यार में! क्या आकाश उतर आया है दूबों...

Amir khusro 275x153.jpg

छाप तिलक सब छीनी रे

  छाप तिलक सब छीनी रे मोसे नैना मिलाइके प्रेम भटी का मदवा पिलाइके मतवारी कर लीन्ही रे मोसे नैना मिलाइके गोरी गोरी बईयाँ, हरी हरी चूड़ियाँ बईयाँ पकड़ धर लीन्ही रे मोसे नैना मिलाइके बल बल जाऊं मैं तोरे रंग रजवा अपनी सी रंग दीन्ही रे मोसे नैना मिलाइके खुसरो निजाम के बल बल जाए मोहे सुहागन कीन्ही रे मोसे नैना मिलाइके छाप तिलक सब छीनी रे मोसे नैना मिलाइके

Dr ashwaghosh 275x153.jpg

नए साल में

नए साल में प्यार लिखा है तुम भी लिखना प्यार प्रकृति का शिल्प काव्यमय ढाई आखर प्यार सृष्टि पयार्य सभी हम उसके चाकर प्यार शब्द की मयार्दा हित बिना मोल, मीरा-सी-बिकना प्यार समय का कल्प मदिर-सा लोक व्याकरण प्यार सहज संभाव्य दृष्टि का मौन आचरण प्यार अमल है ताल कमल-सी,  उसमें दिखना।

सबसे लोकप्रिय

poet-image

खेलूँगी कभी न होली

खेलूँगी कभी न होली उससे जो नहीं...

poet-image

सब बुझे दीपक जला लूं

सब बुझे दीपक जला लूं घिर रहा तम...

poet-image

पत्रोत्कंठित जीवन का विष बुझा हुआ है

पत्रोत्कंठित जीवन का विष बुझा हुआ...

poet-image

हो कहाँ अग्निधर्मा नवीन ऋषियों

कहता हूँ¸ ओ मखमल–भोगियों। श्रवण...

poet-image

धूप सा तन दीप सी मैं

धूप सा तन दीप सी मैं!  उड़ रहा...

ad-image