बच्चन

आ रही रवि की सवारी

आ रही रवि की सवारी

चाहता, उछलूँ विजय कह, पर ठिठकता देखकर यह- रात का राजा खड़ा है, राह में बनकर भिखारी ...

अग्निपथ

अग्निपथ

एक पत्र छाँह भी, माँग मत, माँग मत, माँग मत ...

लो दिन बीता लो रात गयी

लो दिन बीता लो रात गयी

जैसे होती थी, सुबह हुई, क्यों सोते-सोते सोचा था, होगी प्रात: कुछ बात नई ...

मौन और शब्द

मौन और शब्द

सुना, मेरा वह बोलना दुनियाँ में काव्य कहलाया था ...

मधुशाला

मधुशाला

मृदु भावों के अंगूरों की आज बना लाया हाला, प्रियतम, अपने ही हाथों से आज पिलाऊँगा प्याला, पहले भोग लगा लूँ तेरा फिर प्रसाद जग पाएगा, सबसे पहले तेरा स्वागत करती मेरी मधुशाला

सबसे लोकप्रिय

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तुम और मैं

तुम तुंग - हिमालय - श्रृंग और मैं चंचल-गति सुर-सरिता ...

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तुम हमारे हो

नहीं मालूम क्यों यहाँ आया ठोकरें खाते हु‌ए दिन बीते। उठा तो पर न सँभलने पाया गिरा व रह गया आँसू पीते ...

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लू के झोंकों झुलसे हुए थे जो

लू के झोंकों झुलसे हुए थे जो, भरा दौंगरा उन्ही पर गिरा ...

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स्नेह-निर्झर बह गया है

स्नेह-निर्झर बह गया है ! रेत ज्यों तन रह गया है ...

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गहन है यह अंधकारा

गहन है यह अंधकारा; स्वार्थ के अवगुंठनों से हुआ है लुंठन हमारा ...

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