शायरी

आरजू है वफ़ा करे कोई

आरजू है वफ़ा करे कोई

उन से सब अपनी अपनी कहते हैं मेरा मतलब अदा करे कोई ...

शोला था जल-बुझा हूँ, हवायें मुझे न दो

शोला था जल-बुझा हूँ, हवायें मुझे न दो

जो ज़हर पी चुका हूँ तुम्हीं ने मुझे दिया अब तुम तो ज़िन्दगी की दुआयें मुझे न दो ...

मेरे बारे में हवाओं से वो कब पूछेगा

मेरे बारे में हवाओं से वो कब पूछेगा

अपना गम सबको बताना है तमाशा करना, हाल-ऐ- दिल उसको सुनाएँगे वो जब पूछेगा ...

सुना है लोग उसे आँख भर के देखते हैं

सुना है लोग उसे आँख भर के देखते हैं

तू सामने है तो फिर क्यों यकीं नहीं आता यह बार बार जो आँखों को मल के देखते हैं ...

टकरा ही गई मेरी नज़र उनकी नज़र से

टकरा ही गई मेरी नज़र उनकी नज़र से

इज़हार-ए-मोहब्बत न किया बस इसी डर से ऐसा न हो गिर जाऊँ कहीं उनकी नज़र से ...

अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें

अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें

अब न वो मैं हूँ न तू है न वो माज़ी है "फ़राज़" जैसे दो शख़्स तमन्ना के सराबों में मिलें

ख़ामोश हो क्यों दाद-ए-ज़फ़ा क्यूँ नहीं देते

ख़ामोश हो क्यों दाद-ए-ज़फ़ा क्यूँ नहीं देते

रहबर हो तो मन्ज़िल का पता क्यूँ नहीं देते ...

कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी

कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी

जी बहुत चाहता है सच बोलें, क्या करें हौसला नहीं होता ...

ये चाँदनी भी जिन को छूते हुए डरती है

ये चाँदनी भी जिन को छूते हुए डरती है

बिछड़े हुए मिलते हैं जब बर्फ़ पिघलती है ...

कहाँ तो तय था चराग़ाँ हर एक घर के लिये

कहाँ तो तय था चराग़ाँ हर एक घर के लिये

ख़ुदा नहीं न सही आदमी का ख़्वाब सही कोई हसीन नज़ारा तो है नज़र के लिये

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तुम तुंग - हिमालय - श्रृंग और मैं चंचल-गति सुर-सरिता ...

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लू के झोंकों झुलसे हुए थे जो

लू के झोंकों झुलसे हुए थे जो, भरा दौंगरा उन्ही पर गिरा ...

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