कविताएँ

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ले चला जान मेरी रूठ के जाना तेरा

ले चला जान मेरी रूठ के जाना तेरा ऐसे आने से तो बेहतर था न आना तेरा अपने दिल को भी बताऊँ न ठिकाना तेरा सब ने जाना जो पता एक ने जाना तेरा तू जो ऐ ज़ुल्फ़ परेशान रहा करती है किस के उजड़े हुए दिल में है ठिकाना तेरा आरज़ू ही न रही सुबहे-वतन[1] की मुझको शामे-गुरबत[2] है अजब वक़्त सुहाना तेरा ये समझकर तुझे ऐ मौत लगा रक्खा है  काम आता है बुरे वक़्त में आना तेरा ऐ दिले शेफ़्ता में आग लगाने वाले  रंग लाया है ये लाखे का जमाना तेरा तू...

Gopaldasneeraj 275x153.jpg

दूर से दूर तलक एक भी दरख्त न था

दूर से दूर तलक एक भी दरख्त न था| तुम्हारे घर का सफ़र इस क़दर सख्त न था।   इतने मसरूफ़ थे हम जाने के तैयारी में, खड़े थे तुम और तुम्हें देखने का वक्त न था।   मैं जिस की खोज में ख़ुद खो गया था मेले में, कहीं वो मेरा ही एहसास तो कमबख्त न था।   जो ज़ुल्म सह के भी चुप रह गया न ख़ौल उठा, वो और कुछ हो मगर आदमी का रक्त न था।   उन्हीं फ़क़ीरों ने इतिहास बनाया है यहाँ, जिन पे इतिहास को लिखने के लिए वक्त न था।   शराब...

Akbar allahabadi 275x153.jpg

कहाँ ले जाऊँ दिल दोनों जहाँ में इसकी मुश्किल है

कहाँ ले जाऊँ दिल दोनों जहाँ में इसकी मुश्क़िल है ।  यहाँ परियों का मजमा है, वहाँ हूरों की महफ़िल है ।  इलाही कैसी-कैसी सूरतें तूने बनाई हैं, हर सूरत कलेजे से लगा लेने के क़ाबिल है।  ये दिल लेते ही शीशे की तरह पत्थर पे दे मारा,  मैं कहता रह गया ज़ालिम मेरा दिल है, मेरा दिल है ।  जो देखा अक्स आईने में अपना बोले झुँझलाकर,  अरे तू कौन है, हट सामने से क्यों मुक़ाबिल है ।  हज़ारों दिल मसल कर पाँवों से झुँझला के फ़रमाया,  लो पहचानो तुम्हारा...

Sohanlaldwivedi 275x153.jpg

आया वसंत आया वसंत

आया वसंत आया वसंत छाई जग में शोभा अनंत। सरसों खेतों में उठी फूल बौरें आमों में उठीं झूल बेलों में फूले नये फूल पल में पतझड़ का हुआ अंत आया वसंत आया वसंत। लेकर सुगंध बह रहा पवन हरियाली छाई है बन बन, सुंदर लगता है घर आँगन है आज मधुर सब दिग दिगंत आया वसंत आया वसंत। भौरे गाते हैं नया गान, कोकिला छेड़ती कुहू तान हैं सब जीवों के सुखी प्राण, इस सुख का हो अब नही अंत घर-घर में छाये नित वसंत।

Daag 275x153.jpg

ग़ज़ब किया, तेरे वादे पे ऐतबार किया

ग़ज़ब किया, तेरे वादे पे ऐतबार किया तमाम रात क़यामत का इन्तज़ार किया हंसा हंसा के शब-ए-वस्ल अश्क-बार किया तसल्लिया मुझे दे-दे के बेकरार किया हम ऐसे मह्व-ए-नज़ारा न थे जो होश आता मगर तुम्हारे तग़ाफ़ुल ने होशियार किया फ़साना-ए-शब-ए-ग़म उन को एक कहानी थी कुछ ऐतबार किया और कुछ ना-ऐतबार किया ये किसने जल्वा हमारे सर-ए-मज़ार किया कि दिल से शोर उठा, हाए! बेक़रार किया तड़प फिर ऐ दिल-ए-नादां, कि ग़ैर कहते हैं आख़िर कुछ न बनी, सब्र इख्तियार...

Gopaldasneeraj 275x153.jpg

तमाम उम्र मैं इक अजनबी के घर में रहा

तमाम उम्र मैं इक अजनबी के घर में रहा ।  सफ़र न करते हुए भी किसी सफ़र में रहा । वो जिस्म ही था जो भटका किया ज़माने में,  हृदय तो मेरा हमेशा तेरी डगर में रहा ।  तू ढूँढ़ता था जिसे जा के बृज के गोकुल में,  वो श्याम तो किसी मीरा की चश्मे-तर में रहा ।  वो और ही थे जिन्हें थी ख़बर सितारों की,  मेरा ये देश तो रोटी की ही ख़बर में रहा ।  हज़ारों रत्न थे उस जौहरी की झोली में,  उसे कुछ भी न मिला जो अगर-मगर में रहा ।

Amir khusro 275x153.jpg

बहोत रही बाबुल घर दुल्हन

  बहोत रही बाबुल घर दुल्हन, चल तोरे पी ने बुलाई। बहोत खेल खेली सखियन से, अन्त करी लरिकाई। बिदा करन को कुटुम्ब सब आए, सगरे लोग लुगाई। चार कहार मिल डोलिया उठाई, संग परोहत और भाई। चले ही बनेगी होत कहाँ है, नैनन नीर बहाई। अन्त बिदा हो चलि है दुल्हिन, काहू कि कछु न बने आई। मौज-खुसी सब देखत रह गए, मात पिता और भाई। मोरी कौन संग लगन धराई, धन-धन तेरि है खुदाई। बिन मांगे मेरी मंगनी जो कीन्ही, नेह की मिसरी खिलाई। एक के नाम कर दीनी सजनी, पर घर की...

Akbar allahabadi 275x153.jpg

शक्ल जब बस गई आँखों में

शक्ल जब बस गई आँखों में तो छुपना कैसा दिल में घर करके मेरी जान ये परदा कैसा   आप मौजूद हैं हाज़िर है ये सामान-ए-निशात उज़्र सब तै हैं बस अब वादा-ए-फ़रदा कैसा   तेरी आँखों की जो तारीफ़ सुनी है मुझसे घूरती है मुझे ये नर्गिस-ए-शेहला कैसा   ऐ मसीहा यूँ ही करते हैं मरीज़ों का इलाज कुछ न पूछा कि है बीमार हमारा कैसा   क्या कहा तुमने, कि हम जाते हैं, दिल अपना संभाल ये तड़प कर निकल आएगा संभलना कैसा

फिर क्या होगा उसके बाद

फिर क्या होगा उसके बाद? उत्सुक होकर शिशु ने पूछा, "माँ, क्या होगा उसके बाद?"   रवि से उज्जवल, शशि से सुंदर, नव-किसलय दल से कोमलतर ।  वधू तुम्हारी घर आएगी उस विवाह-उत्सव के बाद ।।'   पलभर मुख पर स्मित-रेखा, खेल गई, फिर माँ ने देखा । उत्सुक हो कह उठा, किन्तु वह फिर क्या होगा उसके बाद?'   फिर नभ के नक्षत्र मनोहर  स्वर्ग-लोक से उतर-उतर कर । तेरे शिशु बनने को मेरे  घर लाएँगे उसके बाद ।।'   मेरे नए...

Akbar allahabadi 275x153.jpg

समझे वही इसको जो हो दीवाना किसी का

समझे वही इसको जो हो दीवाना किसी का  'अकबर' ये ग़ज़ल मेरी है अफ़साना किसी का  गर शैख़-ओ-बहरमन[1] सुनें अफ़साना किसी का  माबद[2] न रहे काबा-ओ-बुतख़ाना[3] किसी का  अल्लाह ने दी है जो तुम्हे चाँद-सी सूरत रौशन भी करो जाके सियहख़ाना[4] किसी का  अश्क आँखों में आ जाएँ एवज़[5] नींद के साहब  ऐसा भी किसी शब सुनो अफ़साना किसी का  इशरत[6] जो नहीं आती मेरे दिल में, न आए  हसरत ही से आबाद है वीराना किसी का करने जो नहीं देते बयां हालत-ए-दिल को ...

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खेलूँगी कभी न होली

खेलूँगी कभी न होली उससे जो नहीं...

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सब बुझे दीपक जला लूं

सब बुझे दीपक जला लूं घिर रहा तम...

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पत्रोत्कंठित जीवन का विष बुझा हुआ है

पत्रोत्कंठित जीवन का विष बुझा हुआ...

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हो कहाँ अग्निधर्मा नवीन ऋषियों

कहता हूँ¸ ओ मखमल–भोगियों। श्रवण...

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धूप सा तन दीप सी मैं

धूप सा तन दीप सी मैं!  उड़ रहा...

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